Saturday 12 December 2015

इस ज़िंदगी के सफ़र में , आज तन्हाई बहोत हैं !

इस ज़िंदगी के सफ़र में ,
आज तन्हाई बहोत हैं !
हर तरफ़ जगमगा रहा हैं चिराग़ ,
फिर भी जीवन में अंधियारा बहोत हैं !

इंसा को जगाया तो क्या जगाया ,
उनके अंदर के ज़मीर को जगाओ तो जानू !
मिट जाएगा अंधियारा सारा ,
हर राहों में एक दीप जलाओ तो जानू !

रूठी तक़दीर फिर सँवर जाएगी ,
बिछड़े जो कल आज फिर मिल जाएँगे !
रहेना ना यूँ तू उदास सदा ,
कल के भूले आज फिर लौट आएँगे !

रहेता नहीं सदा अंधियारा यहाँ ,
सच का सूरज निकल ही आता हैं !
कोई लाख ज़ुल्म करले किसी पर ,
एक दिन खोटा सिक्का भी चमक जाता हैं !

रोना धोना पूरी दुनिया की रीत हैं ,
सबको हँसाना हमारी रीत हैं !
रीत ये हमारी दुनिया से अलग हैं ,
शायद इसलिए हम दुनिया से अलग हैं !

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