सुबह से दोपहर हुई ,
दोपहर से शाम हुई !
बस तेरी भूल भुलैया में ,
मेरे जीवन की रात हुई !
रात तो मेरी तब ही हुई ,
जब तुझसे आँखे चार हुई !
जनाज़ा तो निकला हैं अब ,
तेरे जाते ही ये जान बेजान हुई !
चंद पैसों के ख़ातिर तु बेवफ़ा हुई ,
सच कहेता हूँ तु तो आज खुदा हुई !
तेरे प्यार में पड़कर गोरी ,
मेरी ज़िंदगी की आज आख़री रात हुई !
No comments:
Post a Comment