Monday 21 December 2015

तेरे प्यार में पड़कर गोरी , मेरी ज़िंदगी की आज आख़री रात हुई !

सुबह से दोपहर हुई ,

दोपहर से शाम हुई !

बस तेरी भूल भुलैया में ,

मेरे जीवन की रात हुई !

रात तो मेरी तब ही हुई ,

जब तुझसे आँखे चार हुई !

जनाज़ा तो निकला हैं अब ,

तेरे जाते ही ये जान बेजान हुई !

चंद पैसों के ख़ातिर तु बेवफ़ा हुई ,

सच कहेता हूँ तु तो आज खुदा हुई !

तेरे प्यार में पड़कर गोरी ,

मेरी ज़िंदगी की आज आख़री रात हुई !

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