Saturday 12 December 2015

मुझसे न पूछो मैं क्या लिखता हु , कभी सनम तो कभी बलम लिखता हु !

मुझसे न पूछो मैं क्या लिखता हु ,
कभी सनम तो कभी बलम लिखता हु !
हर दिल को जोड़ने की कोशिश हैं मेरी ,
सुबहों शाम मैं यहीँ कलाम लिखता हु !

कलम का प्रेमी हु यारो ,
मैं तो एक सपना लिखता हूँ !
जी उठती हैं कलम मेरी !
जब भी सनम का मैं नाम लिखता हु !

अपनी हर शाम आ तेरे नाम कर दूँ ,
बची हैं जो ज़िंदगी वो भी तेरे नाम कर दूँ !
आ बैठ मेरे पास ज़रा ,
तेरे नाम एक प्यार भरा सौग़ात लिख दूँ !

अपनी हर ग़लतियों का ,
आज मैं इकरार कर लू !
ला दे क़लम मुझे ,
तुझे दिल के काग़ज़ में उतार लूँ !

काग़ज़ में जो उतर गई तो ,
मेरे जीवन में भी आ जाओंगी !
इस सुने पन्ने पर ,
बनकर शायरी तुम छा जाओगी !

आजमाना चाहो तो आजमा लेना ,
मैं सच के सिवा कुछ नही लिखता हु !
रो पड़ता हु मैं उस वक्त ,
जब बुजुर्गो पर हुवे जुल्मो सितम लिखता हु !

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