Wednesday 7 October 2015

इस दिल में अब कोई आस नही , तू आए या न आए कोई बात नही ! अब तो साथी हैं तन्हाई और अँधियारा , बस और किसी के साथ की अब आस नही !

एक अजनबी सा वो चेहरा ,
हर पल दिलों दिमाग पे छा जाता हैं !
किस और जाऊँ मैं आज ,
हर जगह वही चेहरा नजर आता हैं !

कल जो निकला तेरी गली से ,
अब तक मैं अपनी मंजिल ढूढ़ता हु !
किसी को क्या मिला इस जहां में ,
मैं तो अपनी परछाई ढूंढ़ता हु !

हर गली मुहल्ले से जब गुजरता हु ,
राहों में काँटे सदा पाता हु !
मिली नही मुझे अब तक मंजिल ,
हर राह में मैं तुझे ढूंढता हु !

हर डगर हैं शोलों सा ,
फूलों सा ये ख्वाब सारा !
गम बन गया हैं आज साथी ,
काँटों भरा हैं ये जिवन सारा !

इस दिल में अब कोई आस नही ,
तू आए या न आए कोई बात नही !
अब तो साथी हैं तन्हाई और अँधियारा ,
बस और किसी के साथ की अब आस नही !

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