Tuesday 6 October 2015

दूर होकर भी पास हैं हम , थोड़े खुश थोड़े नाराज हैं हम !

दूर होकर भी पास हैं हम ,

थोड़े खुश थोड़े नाराज हैं हम !

अलग अलग हैं जिस्म हमारा ,

पर दो जिस्म एक जान हैं हम !

मुझको ये पता नही कौन हैं हम ,

तुमसे कितनी दूर कहा हैं हम !

बस मेरी मंजिल हैं तू ,

और तेरे तलबगार हैं हम !

मुझको खुद की खबर नही ,

तेरे प्यार में बस बेहाल हैं हम !

कही भी जाऊ तुझे पुकारू ,

तेरे प्यार में बेकरार हैं हम !

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