Sunday 23 August 2015

बन कर तारा आसमान में

बन कर तारा आसमान में टिम टिमाउँगा  ,
कभी न कभी जुगनू सा चमक ही जाऊंगा !

उम्मीदों की डोर पकड़कर उड़ता जाऊंगा ,
हर मुश्किलो को आसान बनाता जाऊंगा !

कोई लाख गिरादे मैं फिर भी खड़ा हो जाऊंगा ,
हौसलो का पंख लगाकर फिर छा जाऊंगा !

बनाकर एक नई राह उसपर चलता जाऊंगा ,
अपनों के उम्मीदों पर खरा उतरता जाऊंगा !

हर दुश्मनी को दोस्ती में बदलता जाऊंगा ,
एक नई प्यार की कहानी लिखता जाऊंगा !

जो भी मिले उसे अपना बनाता जाऊंगा ,
हर राह में एक दिप जलाता जाऊंगा !

जो भी मिले उसे कागज पर उतारता जाऊंगा ,
बनाकर उसे गजल आपको सुनाता जाऊंगा !

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