Monday 17 August 2015

सुबह की लाली

सुबह की लाली हो
और प्यार के अफ़साने !
ऐसे मौसम में हम ,
क्यों न हो सब दीवाने !
ये सूरज की लाली ,
जब आसमान में छाई !
सब के जीवन में फिर ,
खुशियों की रौशनी लाई !
संग पल सुहाने लाई ,
इसी हँसी ख़ुशी में !
आपके सलामती का ,
फिर मैंने दुआ फ़रमाई !



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