Monday 24 August 2015

शोर था जो वो कल चले थे शान से , झुकगए है आज वो शेर की दहाड़ से

शोर था जो वो कल चले थे शान से ,
झुकगए है आज वो शेर की दहाड़ से !

हसरतों के पुल बाँध के चले थे जो ,
मिट गए है आज वो शेर की दहाड़ से !

ख़्वाब जो आँखो में लेकर चले थे वो ,
ख्वाब सारे टूट गए शेर की दहाड़ से !

रूख जो हवा का मोड़ने चले थे वो ,
अरमान सारे बहे गए शेर की दहाड़ से !

इस देश को वो लूटने चले थे जो ,
ख़ुद ही वो लुट गए शेर की दहाड़ से !


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