Thursday 27 August 2015

मेरे लफ़्ज की जो तुझे पहेचान हो जाती , शायद तुझे तुझी से मोहब्बत हो जाती !

हर लफ़्ज मेरा अपना तजुर्बा हैं ,
यूँही कोई पहेचान नही बन जाती !

मेरे भी गीत को संगीत मिल जाता ,
तू जो मेरे गीत की पहेचान बन जाती !

मुझको जो तु नज़र भरकर देख लेती ,
तुझे मेरे प्यार की पहेचान हो जाती !

मेरे लफ़्ज की जो तुझे पहेचान हो जाती ,
शायद तुझे तुझी से मोहब्बत हो जाती !

कभी वख्त मिले तो मुझे पढ़ लेना ,
शायद तुझे तेरी पहेचान हो जाती !


1 comment:

  1. आप सब लोंगो को कैसा लगा अपनी राय जरूर दे

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