Monday 17 August 2015

खामोशियां

ये रात खामोश है ,
ये लब खामोश हैं !
इस राह की हर ,
डगर खामोश हैं !
जो कभी सुना नही ,
जो कभी कहा नही !
ऐसा कुछ बोल दो ,
ये दिल मेरा खामोश है !
मन कुछ बोल ता ,
नजर कुछ बोलती !
तेरी हर अदा पर ,
मेरे जज्बात खामोश है !
मैं कुछ बोल तो दू ,
ये लब खोल तो दू !
पर क्या करू ,
मेरे हर बोल खामोश है !
कभी चाँद खामोश है ,
कभी चाँदनी खामोश है !
उनकी राह से गुजरा तो ,
मेरे सपने खामोश हैं !
हर बाग़ में फूल खामोश है ,
हर कली खामोश है !
मेरे प्यार पर तो ,
ये सारा जहाँ खामोश है !

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