Thursday 20 August 2015

आखरी सलाम

सब कर रहे है यार मेरे ,
दर से उनके यूँ रुखसत मेरा !
क्या गुजरे गी उनके दिल पे ,
देखकर ये जनाज़ा मेरा !

उम्र भर तरसाएंगी तुझे ,
वो रूठ कर जाना मेरा !
यादों की हर गली से गुजरोगी ,
फिर समझोंगी तुम दर्द मेरा !

पैमाना होता तो छलक भी जाता ,
यू तेरे आँखों को तरसाना मेरा !
जब भी गुजरोगी मेरी राहों से तुम ,
तड़पाएंगी तुझे साथ न होना मेरा !

दिल की राहों से गुजर तो जाता ,
पर समझ न आया तुझे जताना मेरा !
हैं आखरी सलाम अब ,
लेलो आखरी सलाम मेरा !

बहोत तड़पाया जीते जी तुझको ,
कबूल हैं मुझे सब गुनाह मेरा !
छोड़ चला फिर तुझे ,
हैं यही आखरी गुनाह मेरा !

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