Saturday 29 August 2015

सावन की घटा जो छाने लगी

सावन की घटा जो छाने लगी ,

वो मचलकर और पास आने लगी ,

बारिश में भीगकर वो यू इठलाने लगी ,

इठलाकर हमें तरसाने लगी ,

जो तन पे गिरी बूँदे तो वो ,

ख़ुद को भुलाकर हममें समाने लगी !

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