Monday 17 August 2015

एक बहरूपिया

ये जग बड़ा निराला ,
सच्चे झूठे यहाँ सारे लोग ,
न कीजिए यूँ ही भरोसा ,
फरेब यहा दिन रात ,
हर मोड़ पर खड़ा ,
एक बहरूपिया ,
अपनों के बिच में ,
बैठा एक बहरूपिया ,
कब कौन कहासे ,
यहा तुझे डुबादे ,
हर कदम काँटे तेरे ,
बच कर चलना तू दोस्त !

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