Sunday 23 August 2015

रिश्तों का मोल

अब जाना रिश्तों का मोल ,
रिश्ते तो हैं बड़े अनमोल !
जिस मंजिल के पीछे थे ,
वो अपनी मंजिल ही नही दोस्त !

मंजिल तो तेरे पास ही हैं ,
फिर भी कभी न जाना !
लाख मिन्नते करलो एक दिन ,
उसी दर हैं सब को जाना !

फिर क्यों जात पात पे लड़ते हो ,
क्यों अपनों को बम से उड़ाते हो !
जिस पैसे के खातिर सब करते हो ,
उसे अंत में यहीँ छोड़ जाते हो !

प्यार मोहब्बत से अपना ,
सारा जीवन बिताना !
मंजिल तो सबकी आखरी ,
श्मशान भूमि या कब्रिस्तान हैं जाना !

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