Saturday 22 August 2015

जिंदगी और मौत में आराम कहा हैं

रात से न पूछो के अभी चाँद कहा हैं ,
इन साँसों से न पूछो के मौत कहा हैं !
पूछना हैं तो श्मशान से पुछलो ,
जिंदगी और मौत में आराम कहा हैं !

कफ़न सा वफादार कहा हैं ,
मौत सा दिलदार कहा हैं !
पूछना हैं तो कफ़न से पुछलो ,
इन मुर्दो को आराम कहा हैं !

वो रिश्ते वो नाते वो प्यार कहा हैं ,
वो सुख दुःख वो चैन कहा हैं !
मौत के नींद में सोने वाले से पुछलो ,
जिंदगी और मौत में आराम कहा हैं !

जो कमाए थे पैसे वो पैसा कहा हैं ,
जिंदगी के राह के वो राजदार कहा हैं !
इन कफ़न में लिपटे मुर्दे से पुछलो ,
जिंदगी और मौत में तुझे आराम कहा हैं !

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