Monday 17 August 2015

इस प्यार के बाजार में बिकते है जिस्म अनमोल

प्यार करे किसी और से ,
मज़े लेती कहि और !
इस प्यार के बाजार में ,
बिकते है जिस्म अनमोल !

लोग तरसे प्यार को ,
प्यार है बिन पैसे नही आती !
मिल जाता है सब कुछ ,
बिन पैसे आज वो नही आती !

प्यार कहि कर आती ,
शादी कहि और !
इस प्यार के झांसे में ,
कितनो को लूट आती !

आज हर कली ,
खुद ही फूल बन आती !
इस फैशन के नाम पर ,
अपना सब कुछ बेच आती !

शादी शुदा हो या कवारी ,
अपनी इज्जत खुद लुटा आती !
एक पाक रिश्ते को ,
हर बार कलंकित कर आती !

No comments:

Post a Comment