Tuesday 25 August 2015

दूर गगन की छाव में

दूर गगन की छाव में ,
एक ख्वाबो का आसमान हो !
तारो सा चमकता ज़मी ,
लहरों सा आसमान हो !
हर डगर महकें कस्तूरी सा ,
हवाओं में पलता प्यार हो !
हर दिल में प्यार का फूल खिले ,
नफरत से भरा ये जहाँ ना हो !
यूँही हँसते खेलते बीते जिंदगानी ,
खुशियों से भरा सारा जहान हो !

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