Monday 24 August 2015

शायरी नही तुम पूरी गजल हों


शायरी नही तुम पूरी गजल हों ,

किचड़ में खिली एक कमल हों !

लफ्ज़ो पर बैठी हुवी नज्म हों ,

जिंदगी में प्यार की लहर हों !

कड़ी धुप में ठंडी छाव हों ,

तुम ही गजल में सावन की घटा है !

तेरी ही जुल्फों से होती हैं धुप छाव ,

इस संगीत की तुम ही सरगम हों !

झरने की कल कल आवाज हों ,

वो लहरो की सुरीली तान हों !

वो पत्तो की सर सराहट हो ,

तुम्ही मेरी गजल तुम्ही शायरी हों !

No comments:

Post a Comment