Sunday 23 August 2015

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने
देख के तेरी चाल को ,
इन नैनन के जाल को ,

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने !

अभी तो बाली उमर हैं तेरी ,
फिर भी छाया यूँ शबाब हैं ,
होतो तुम गुड़िया सी पर ,
लगती पूरी तुम माल हो ,

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने !

थोडा सम्भल सम्भल कर चलना ,
आज के इस समाज में ,
कोई फूलों का रस चूस न ले ,
कमसिन चौदहवे ही साल में ,

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने !

गिरते बूंदों की शबनम हो ,
एक मचलती शाम हो ,
तेरी खुशबु से छा जाता है नशा ,
तुम तो पूरी बेमिशाल हैं ,

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने !

मन मचल जाता हैं मेरा ,
तेरी प्यारी सी मुस्कान पर ,
आना ना अभी पास तू ,
के दिल अभी बेकरार हैं ,

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने !

कहि हम बहक न जाए ,
तेरी जुल्फों की छाव में ,
अभी थोडा खामोश ही रहना ,
ठंड में गर्मी का एहसास हो ,

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने !

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