Sunday 16 August 2015

इंसान हु यारो इंसान की जुबा लिखता हु !

अपनों का प्यार लिखता हु ,
अपनों का दुलार लिखता हु ,
इंसान हु यारो ,
इंसान की जुबा लिखता हु !

सीधा सादा इंसान हु ,
हर शब्दों को सरल लिखता हु ,
हर दिल समझ जाए ,
मैं वही जुबान लिखता हु !

न झूठ लिखता हु ,
न फरेब लिखता हु ,
सच्चा इंसान हु ,
बस सच्चाई लिखता हु !

न हिन्दू लिखता हु ,
न मुस्लिम लिखता हु ,
खुदा का नेक बन्दा हु ,
अमन चैन की बाते लिखता हु !

न जमीन लिखता हु ,
न आसमान लिखता हु ,
आजाद परिंदा हु यारो ,
आज़ादी की बाते लिखता हु !

हर दूरियाँ लिखता हु ,
हर नजदीकियाँ लिखता हु ,
एक सफर हु यारो ,
मैं हर बात लिखता हु !

दिल की पुकार लिखता हु ,
बाहो का हार लिखता हु ,
मैं तो अपने प्यार की ,
हर वो शाम लिखता हु !

हर दिल की धड़कन लिखता हु ,
फूलो की खुशबू लिखता हु ,
बागों में वो फूलो पर ,
भवरे की मनमानियां लिखता हु !

हर दिल का करार लिखता हु ,
हर दिल का अरमान लिखता हु ,
कभी किसी का दिल न तोडना ,
यही सबको पैगाम लिखता हु !

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