छूट गया हैं जो पल पीछे उसे बुलाऊँ कैसे !
रात बड़ी तनहा हैं उसे भुलाऊँ कैसे !!
भटक रहा हैं जो इर्द-गिर्द , उसे सम्भालूँ कैसे !
राह बड़ी अंज़ान , मैं खुद को राह दिखाऊँ कैसे !!
ज़ख़्म देने वाले को , मैं गले लगाऊँ कैसे !
यादों का मंजर हैं सामने खड़ा , मैं उसे भगाऊँ कैसे
जल रहा जो आग दिल में , मैं खुद को उसमें जलाऊ कैसे !
दूसरों के ख़ातिर , मैं खुद को सताऊँ कैसे !!
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