Monday 23 May 2016

वो बचपन याद आत है वो शरारत याद आती हैं

वो बचपन याद आत है
वो शरारत याद आती हैं
वो रुठना वो मनाना
बचपन की हर वो बात याद आती हैं 
न दुनिया दारी थी
न दिल में भेद भाव था
जो भी था वो 
एक सच्चा प्यार था
वो बातों बातों में दोस्तों से झड़ना
झगड़कर फिर एक हो जाना
यू एठ कर वो चल देना
याद आता हैं मुझे अब भी वो गुज़रा ज़माना

No comments:

Post a Comment