Tuesday 29 October 2019

फिजाओं में फैला इतना ज़हर क्यों हैं

धुवा धुवा सा अब ये जीवन क्यों हैं
डरा डरा सा अब ये दिल क्यों हैं

कौन हैं जो बिछड़ने लगा हैं
खामोश ये इतना मन क्यों हैं

 न चैन हैं न करार हैं
ये मौसम इतना बेक़रार क्यों हैं

न चलती हैं हवाएं न लहराते हैं पत्ते
फिजाओं में फैला इतना ज़हर क्यों हैं

No comments:

Post a Comment