Thursday 7 May 2015

वो आँगन खेत खलियान वो मिट्टी की खुसबू अब है कहा !

वो आँगन खेत खलियान ,
वो मिट्टी की खुसबू अब है कहा !

वो प्यारा सा मेरा गाँव ,
वो प्यारी सी दादी की मुस्कान अब है कहा !

वो निम का छाव आँगन में ,
वो ममता की बरसात अब हैं कहा !

वो दादी का प्यार वो बचपन मेरा ,
वो आँगन वो छत अब हैं कहा !

वो रूठना मेरा वो दादी का मनाना ,
अब वो समय वो पल हैं कहा !

वो दादी का दुलार वो फटकार ,
वो दादी का गोद अब है कहा !

कितने मिनरल वाटर आज पि गया ,
पर उसमे वो मीठे कुवे का स्वाद है कहा !

कहा कहा ढूँढू तुझे मैं अब ओ दादी ,
कोई तो बताये वो दादी का जहाँ अब है कहा !

कितनी रातो से चैन से नही सोया ,
कोई तो बताए वो दादी की लोरो अब है कहा !

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