Saturday 19 May 2018

कल रात बहोत देर तक ,  नींद टहल रही है मेरे आँगन में....

कल रात बहोत देर तक , 
नींद टहल रही है मेरे आँगन में....
वो तेरा मुस्कुराना ,
रूठ जाना आ रहा था जहन में....
हकीकत में नहीं तो ,
ख्वाबो को ही पनाह दे दें.........
आ मेरी जान आ ,
अब तो इस राही को मंज़िल देदे....

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