कोई नहीं हमराही
नज़र हैं बस भरमाई
दूर दूर तक यादों का सागर
और साथ चली परछाई.........
कुछ दूर लोग साथ चले तो थे
लेकर हाथोँ में हाथ बढ़े तो थे
वख्त बदला लोग बदले
हिस्से मेरे जब तन्हाई आई थी
बचा एक यादों का बादल
और टूटी साथ चारपाई थी
घर भी था सुना सुना
जब सुनी उसकी कलाई थी
खुशियों का आंगन नहीं
आँसुओ की बरसात थी
मेरे साथ साथ चली
वो मेरी ही परछाई थी..........
नज़र हैं बस भरमाई
दूर दूर तक यादों का सागर
और साथ चली परछाई.........
कुछ दूर लोग साथ चले तो थे
लेकर हाथोँ में हाथ बढ़े तो थे
वख्त बदला लोग बदले
हिस्से मेरे जब तन्हाई आई थी
बचा एक यादों का बादल
और टूटी साथ चारपाई थी
घर भी था सुना सुना
जब सुनी उसकी कलाई थी
खुशियों का आंगन नहीं
आँसुओ की बरसात थी
मेरे साथ साथ चली
वो मेरी ही परछाई थी..........
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