Friday 20 July 2018

करता हूँ आख़री सलाम सब को ! उठ रहा हैं जनाजा मेरे इश्क़ का !!

टूट कर रहे गया सपना मेरे इश्क़ का !
बहे गया आँखों से अफ़साना मेरे इश्क़ का !!

खुदा करे मिले तुझे तेरी मंज़िल !
अब तो गाएगा वक़्त तराना मेरे इश्क़ का !!

करोड़ों में खेलने वाली क्या समझेगी इश्क़ को !
अधूरा ही रहे गया फँसाना मेरे इश्क़ का !!

उनकी नज़र में कवड़ी का मेरा मोल नहीं !
बेमोल रहा ख़ज़ाना मेरे इश्क़ का !!

करता हूँ आख़री सलाम सब को !
उठ रहा हैं जनाजा मेरे इश्क़ का !!

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