Tuesday 10 July 2018

खुद को हमसे छुपाती हो । सनम तुम भी हमपर बड़ा जुर्म ढाती हो ।।

दूर रहकर भी पास रहती हो ।
कुछ न कह कर भी तुम बहोत कुछ कहती हो

छुप छुप कर नज़र रखती हो ।
तुम मुझे वहीं खाबों की रानी लगती हो ।।

भेष बदलकर फिरती हो ।
हमे पता हैं तुम हमपर मरती हो ।।

ख्वाबों में रोज़ मिलती हो ।
बात करूं किसी से तो जलती हो ।।

खुद को हमसे छुपाती हो ।
सनम तुम भी हमपर बड़ा जुर्म ढाती हो ।।


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