दूर रहकर भी पास रहती हो ।
कुछ न कह कर भी तुम बहोत कुछ कहती हो
छुप छुप कर नज़र रखती हो ।
तुम मुझे वहीं खाबों की रानी लगती हो ।।
भेष बदलकर फिरती हो ।
हमे पता हैं तुम हमपर मरती हो ।।
ख्वाबों में रोज़ मिलती हो ।
बात करूं किसी से तो जलती हो ।।
खुद को हमसे छुपाती हो ।
सनम तुम भी हमपर बड़ा जुर्म ढाती हो ।।
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