Tuesday 3 July 2018

डुबोकर ख़ुद को आँसुओं में मैं अपनी मोहब्बत उसिमे छोड़ आया

मुद्दतों बाद जिसपर दिल आया
मैं उसी को रुसवा कर आया

लगाकर इश्क़ का रोग
मैं ख़ुद को कहीं दूर छोड़ आया

बसा कर उसे दिल में
मैं ख़ुद को उसमे तड़पता छोड़ आया

कुछ मजबूरियाँ थी हालातों की
कुछ उसने भी था ज़ुल्म ढाया

डुबोकर ख़ुद को आँसुओं में
मैं अपनी मोहब्बत उसिमे छोड़ आया

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