Monday 11 April 2016

फिर क्यूँ तेरी आँखो में आज मेरी सूरत नज़र आइ

हर जगह फैली हुई रात की स्याही ,
ऐसे में मुझे फिर तेरी याद आइ  !

जब जब आसमान में चाँद नज़र आया ,
तब तब उस चाँद में मुझे तेरी सूरत नज़र आइ !

जब भी कश लगाकर सोचा तेरे बारे में ,
हर उड़ते धुएँ में मुझे तेरी सूरत नज़र आइ !

चलो ये भी माना तुम मुझे नहीं चाहती ,
फिर तुझमें मेरी झलक क्यों नज़र आइ !

तेरे दिल में मैं नहीं बसता ये भी माना ,
फिर क्यूँ तेरी आँखो में आज मेरी सूरत नज़र आइ !

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