मंज़िल हैं अभी तेरी दूर ज़रा सम्भल कर चल ,
हर क़दम पर हैं काँटे तेरे राही ज़रा सम्भल कर चल !
नहीं रहेता यूँ सदा अँधेरा राही ज़रा सम्भल चल !
देगा नहीं यहाँ कोई तेरा साथ ज़रा सम्भल कर चल ,
आनेवाला हैं नया सबेरा राही ज़रा सम्भल कर चल !
ये दर्द ये दुःख नहीं रहेता सदा ज़रा सम्भल कर चल ,
आने को नई ख़ुशियाँ राही ज़रा सम्भल कर चल !
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