Wednesday 27 April 2016

तेरे ज़ुल्म सितम से मैं , फूट फूट कर आज रोया हूँ ! अभी न जगाना मुझे , अभी तो चैन की नींद सोया हूँ !

तेरे ज़ुल्म सितम से मैं ,
फूट फूट कर आज रोया हूँ !
अभी न जगाना मुझे ,
अभी तो चैन की नींद सोया हूँ !

अभी अभी हूवा हु तनहा ,
अभी अभी टूटा हूँ मैं !
आँखो में छाया अंधियारा ,
अब तो चैन की नींद सोने दो !

अभी अभी तो सुकून मिला हैं ,
सपनो की दुनिया में खोने दो !
भाड़ में जाए दुनिया सारी ,
चैन की नींद मुझे सोने दो !

अपने रोयें रोने दो ,
साथ छूटे छूटने दो !
क्यों इतना सोचते हो ,
अब तो मुझे सोने दे !

टूटे आज रिश्ते सारे ,
छूटे आज संघी साथी !
बंद करके इन आँखो को ,
मुझे अब तो सोने दो !

बहोत तरसा हू सोने को ,
सोऊ तब तक मुझे सोने दो !
मत रोना मेरे दुःख में ,
अब तो मुझे चिर निद्रा सोने दो !

मुझे जगाने की हठ में ,
तु क्यों सिसक सिसक कर रोया हैं !
चुप होज़ा पगले कभी तो ,
तुम्हें भी चिर निद्रा में सोना हैं !

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