Wednesday 27 April 2016

फिर मिलने का कोई वादा नहीं , साथ निभाने का कोई इरादा नहीं !

फिर मिलने का कोई वादा नहीं ,
साथ निभाने का कोई इरादा नहीं !
पल में ग़ैर बना दिया मुझे ,
कहेती हैं तुमसे मेरा कोई वास्ता नहीं !

उनके दिल में प्यार नहीं ,
मेरा भी अब कोई अरमान नहीं !
सो रहा नसीब अपना ,
मुझपर किसी को एतबार नहीं !

ज़िंदगी के राह में कोई अपने साथ नहीं ,
यहाँ कोई किसी का सच्चा यार नहीं !
तुम जहाँ भी रहेना ख़ुश रहेना ,
अब मुझे भी किसी पर विश्वास नहीं !

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