Sunday 6 September 2015

धुप में जमीन जल गई इन खेतों की नमी चली गई

धुप में जमीन जल गई ,

इन खेतों की नमी चली गई !

नदी नाले भी हैं कहा !

किसानों की तक़दीर रूठ गई !

नही कोई इनका सहारा ,

जो बचे थे वो घर दार बिक गए !

खून बेचकर जो फसल लगाई ,

बाढ़ में सारे वो अरमान बहे गए !

जाए भी ये कहा जाए ,

मंदिरों से अब भगवान चले गए !

No comments:

Post a Comment