Tuesday 1 September 2015

चलती हो यू लहेराकर बल बल बलखाती हो

चलती हो यू लहेराकर ,
बल बल बलखाती हो !
हम सब आशिक़ों पर ,
क्या खूब कहेर ढाती हो !

अपने हर एक चाल से ,
कितनों को मार गिराती हो !
अपने इन नयनों से ,
हम सब को क्यूँ तरसाती हो !

इस बार जो पलट कर तूने देखा ,
जाने कितनों को तूने लुटा !
उस मोड़ पर जो तू रुक गई ,
कितनो के धड़कन थम गई !

तेरी हर अदा पर दिल धड़कता हैं ,
तुझे पाने को ये दिल करता हैं !
दिन रात मुझे अब चैन नही ,
बस तेरा ही दिदार ये करता हैं !

हर जगह सूरत तेरी हर पल यादे तेरी ,
पल पल तड़पाती हैं मुझे बाते तेरी !
वो तेरा शरमाना वो तेरा मुस्कुराना ,
मुझको सताती हैं वो अंगड़ाई तेरी !

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