Wednesday 3 February 2016

मेरी हर सुबह मेरी हर शाम हैं तु

मेरी हर सुबह मेरी हर शाम हैं तु ,
मेरे हर दुआ की पहेचान हैं तु !
माना इस शोहरत में तु मुझको भूल गई ,
पर सच बोलू तो मेरे ज़िंदा रहेने की राज हैं तु !

मेरे हर सुबह की अज़ान हैं तु ,
मेरे हर पल की ख़ुशी हैं तु !
हक़ हैं तुझे तु मुझको भूल जा ,
पर सच कहूँ तो मेरी हर साँस हैं तु !

मेरे जिस्म की धड़कन हैं तु ,
मेरे मन मंदिर की मूरत हैं तु !
तेरी हर बेवफ़ाई को मैंने माफ़ किया ,
सच कहूँ तो मेरी खुदा हैं तु !

मेरे निव की आधार हैं तु ,
मेरी जीवन रेखा हैं तु !
अब तुझसे मैं क्या कहूँ ,
सच बोलू तो मेरी संसार हैं तु !



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