Saturday 20 February 2016

कोई दोस्त नहीं कोई यार नहीं , इस शहर में अब अपना कोई काम नहीं !

कोई दोस्त नहीं कोई यार नहीं ,
इस शहर में अब अपना कोई काम नहीं !

पत्थर हैं सब लोग कोई यहाँ इंसान नहीं ,
चेहरे पे चेहरा हैं किसी का दामन यहाँ पाक नहीं !

जिसको तुम पढ़ सको यहाँ वो चेहरा नहीं ,
सब हैं मतलब के कोई यहाँ तेरा यार नहीं !

तेरे प्यार का अब मुझे कोई जुनून नहीं ,
ये जो आँसू हैं दोस्त हैं कोई दुश्मन नहीं !

तेरे जुदाई का यूँ तो मुझे कोई ग़म नहीं ,
पर तुझे भी अब वफ़ा करने का कोई हक़ नहीं !

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