Monday 29 February 2016

मेरी राहों में आज बिजली गिराकर , चले हैं वो चेहरे पर नक़ाब गिराकर !

मेरी राहों में आज बिजली गिराकर ,
चले हैं वो चेहरे पर नक़ाब गिराकर !
जब चाहा प्यार किया ,
जब चाहा छोड़ दिया !
ये प्यार हैं प्यार ,
मंदिर मस्जिद का प्रसाद नहीं !
जो हर चौखट पर ,
चले हो अपना दामन गिराकर !
Writer :- ॐTiwari

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