Sunday 15 March 2015

इस जहाँ में जीने के खातिर , मैं और कितने झूठ बोल जाऊ !

इस दर जाऊ या उस दर जाऊ ,
हर तरफ नफरत बिखरा पाऊ !
इस जहाँ में जीने के खातिर ,
मैं और कितने झूठ बोल जाऊ !

इस गली या उस गली जाऊ ,
हर गली में एक आशिक पाऊ !
इस बेवफा प्यार की खातिर ,
मैं कितने को रुलाऊ !

इस को समझाऊ या उसको समझाऊ ,
इस प्यार का मतलब कितनो को बताऊ !
एक लड़की की खातिर ,
मैं कितनो के नजरों में गिर जाऊ !

तुझ बेवफा से न जाने कैसे प्यार हुवा ,
हर पल यही सोच सोच मरजाऊ ,
तेरी हर बेवफाई पर मैं ,
अपने आप को कितना तड़पाऊ !

तेरी यादों को अपने दिल से मिटाऊ ,
तेरी हर अदा को भुलाऊ !
मैं तेरे प्यार की खातिर ,
अपने माँ बाप को कब तक तड़पाऊ !

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