Sunday 15 March 2015

आँखों में मेरे अब समुन्दर हैं , हर जगह बेवफाई का मंजर हैं ! किस ओर जाऊ अब खुदा , हर जगह आज अंधेर हैं !

टूट कर चाहा था जिसको ,
उसी ने आज धोखा दिया !
चाहा था जिसे जान से ज्यादा ,
वही मेरा कातिल मिला !

बस उन्ही के हम कायल थे ,
दिन रात प्यार में घायल थे !
जिसे देख कर जीते थे हम ,
वही साया आज कातिल हुवा !

चले थे जो वो शान से ,
कदमो से कदम मिलाकर !
हर कदम उसी ने धोखा दिया ,
सच्चे प्यार का खूब सील दिया !

आँखों ही आँखों से वार हुआ ,
मोहब्बत उनसे दिन रात हुआ !
खुदा का रूप समझते ते जिसे ,
उसी रूप में आज बेवफा मिला !

आँखों में मेरे अब समुन्दर हैं ,
हर जगह बेवफाई का मंजर हैं !
किस ओर जाऊ अब खुदा ,
हर जगह आज अंधेर हैं !

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