Friday 13 March 2015

एक दिन तो मरना ही है , फिर क्यूँ न आज में जिकर देख लो !

असमान की बुलन्दियों को ,
छूकर चाहे देख लो ,
गगन के तारे को ,
मुट्ठी में भरकर देख लो ,
चाहे जो भी जतन ,
तुम करके देख लो ,
होगा वही यहाँ ,
जो लिखा तेरी किस्मत में ,
चाहे कुछ भी करके देख लो ,
तो किस बात पे अकड़ना यारो ,
इस अकड़ को छोड़कर देख लो ,
क्या तेरा क्या मेरा ,
ये आपस की बैर ,
मिटा कर तुम देख लो ,
जिंदगी बहोत हसीन है ,
दुसरो को खुश कर के देख लो ,
एक दिन तो मरना ही है ,
फिर क्यूँ न आज में जिकर देख लो !

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