Thursday 19 March 2015

आँखों में अब समुन्दर हैं

आँखों में अब समुन्दर हैं ,
न जाने कहा रुका ये जीवन हैं ,
न जाने कहा छुट गया ,
जिसका नाम मौत ही जिंदगी हैं ,
उन्ही के यादों में जीना था ,
उन्ही के यादो में मरना था ,
पर जब चला वो बेवफाई का मंजर ,
तब उन्ही के हाँथो मिला खंजर ,
पता नही कैसे हम जिन्दा हैं ,
उस बेवफा पर अब भी हम फ़िदा है ,
किस मोड़ पर कौन कब रूठ गया ,
पता नही इस जिंदगी का उनसे क्या रिश्ता हैं !

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