तकदीर अपनी कब तक यूँ रूठी रहेगी , उम्मीदों की किरण कभी तो आएगी ! चलते चले चलो यूँही काँटों भरी राहों पर , मंजिल तेरी तुझे मिल ही जाएगी !
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