Sunday 5 April 2015

ये कैसा समय अब , इस जहाँ में आया हैं ,

ये कैसा समय अब ,
इस जहाँ में आया हैं ,
आज नर को नारी में ,
नारी को नर में पाया हैं ,
अपने ही लिंग पर ,
लगता हैं उन्हें विश्वास नही ,
नर के खाल में वो ,
बिलकुल नारी सा पेश आता हैं ,
क्रीम पावडर लगाकर ,
वो यूँ लहराता हैं ,
लड़का होकर भी वो
एकलड़की सा शरमाता हैं !
फिर चुपके चुपके वो ,
एक लड़के से ही ,
आशिकी फ़रमाता हैं !

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