Sunday 5 April 2015

जिनसे मिलने को हम यूँ तरस गए

जिनसे मिलने को हम यूँ तरस गए ,
आज खुद ही वो हमे मिल गए !
रो कर वो यूँ हमारे गले से जो लिपट गए ,
उनकी चाहत में हम फिर एक बार लूट गए !

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