Wednesday 1 April 2015

न जा मुझे तू यूँ छोड़कर !

न जा मुझे तू यूँ छोड़कर !
इस दिल में कुछ होता हैं ,
एक टिस सी दिल में उठती हैं ,
कुछ दर्द सा दिल में होता हैं ,
ऐसी दिवानगी छाती हैं ,
हर वख्त तेरे लिए ही रोता हैं !

न जा मुझे तू यूँ छोड़कर !
तुही तो मेरे जीने की आस हैं ,
इस अंधियारे की तू चराग हैं ,
पर तूने मुझे रुलाने का खेल क्यों खेला ,
बिन तेरे जीने का कुछ अर्थ नही हैं ,
तुझेे समझाने का आखरी ये कोशिश् हैं !

न जा मुझे तू यूँ छोड़कर !
कैसे समझाए उन सपनो को ,
इंतजार करने वाली उन आँखों को ,
कैसे याद करूँ उन लम्हों को ,
वो साथ में बिताए पलों को !

न जा मुझे तू यूँ छोड़कर !
आजाओ फिर मेरे  ,
इस सुने जीवन में ,
मैं तेरी हूँ बस इतना बोलना ,
भर लूंगा मैं तुझे बाहों में ,
जाने वाले इन लम्हों को ,
छुपा रख्खा हैं मुठ्ठी में ,
जाने वाले कदम फिर ,
लौट आए मेरी यादों में !

न जा मुझे तू यूँ छोड़कर !
के साया तक अब साथ नही ,
तुम बिन जीने की कोई आस नही ,
बस तुम्ही बसी हो मेरे हर सांसों में ,
बस तेरा ही साथ हो ,
मेरे आखरी साँस तक !

न जा मुझे तू यूँ छोड़कर !
न जा मुझे तू यूँ छोड़कर !

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