कोई खुशियों के पीछे भाग रहा ,
कोई गम में डूब रहा !
इंसान होकर भी ,
मशीनों की तरह भाग रहा !
अपने सारे रिश्तों को ,
धीरे धीरे भुला रहा !
पैसा ही आज खुदा बना ,
बस उसीपर सारा जीवन लूटा रहा !
पर इन को कौन समझाए ,
खुदा के दर पैसे नही ,
तेरी नेकी काम आती हैं !
जब डूबे गा सूरज तेरा ,
तब तेरा नेक कर्म ही काम आएगा !
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