Monday 6 April 2015

वाह रे तेरी कारीगरी भगवान , उस पर तेरी महिमा अपार !

वाह रे तेरी कारीगरी भगवान ,
उस पर तेरी महिमा अपार !
इस धरती माँ की खातिर ,
तूने बनाया था कभी इंसान !
मीठी वाणी बोलकर ,
करता वह चापलूसी !
अपनों को ही लूटता ,
चंद पैसो के खातिर !
लड़ मरकर वह यहा कीड़े बनगए ,
अपनी ही माँ बहेनो की लाज लूट रहे !
और पेट में ही बेटी को मरवाता हैं ,
फिर शान से खुदको इंसान कहलाता हैं !

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