Sunday 5 April 2015

अभी तो गिर के सम्भले हैं हम , कही फिर से राह भटक न जाए !

अभी तो गिर के सम्भले हैं हम ,
कही फिर से राह भटक न जाए !

अभी तो दिल से दिल मिले हैं ,
कही ये फिर टूट न जाए !

अभी तो पास आए हैं वो ,
कही फिर हमसे दूर हो न जाए !

अभी तो प्यार की सुरुवात हैं ,
कही सपना ये फिर टूट न जाए !

अभी तो अपना बना हैं कोई ,
कही फिर से अपने रूठ न जाए !

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